क्या होता है फिशर और फिस्टुला (Fissure and Fistula), जानिए इसके लक्षण, उपचार और कारण
आमतौर पर लोग गुदा से संबधित सभी रोगों को बवासीर या पाइल्स समझते है, लेकिन इसमें कई और रोग भी हो सकते है। ऐसा ही एक रोग है फिशर। फिशर एक ऐसा रोग है जिसमे आपकी गुदा की नलिका में किसी प्रकार का कट या दरार बन जाता है, फिशर की सबसे ज्यादा समस्या बच्चों में पाई जाती है लेकिन इसका ये मतलब बिलकुल भी नहीं है कि फिशर बड़ी उम्र के लोगों को नहीं होता। फिशर अक्सर तब होता है जब आप मल त्याग के दौरान कठोर और बड़े आकार का मल त्याग करते है।
फिशर में मल त्याग के समय दर्द होना और मल के साथ खून आना एक सामान्य लक्षण है। परन्तु लोग मल के साथ खून आते देख डर जाते है। जबकि फिशर कोई गंभीर समस्याएं नहीं है फिशर आमतौर पर कुछ समय बाद उचित उपचार से घर पर ही ठीक हो जाते है। परन्तु अगर आपका फिशर 12 सप्ताह के बाद ठीक नहीं होता है, तो यह एक दीर्घकालिक फिशर हो सकती है। इस फिशर को उपचार की आवश्यकता हो सकती है। फिशर काफी सामान्य और इलाज योग्य समस्या है।
एनल फिशर होने के कारण (Causes of Fissure)
प्रत्येक व्यक्ति का स्वास्थ्य वात, पित्त और कफ पर निर्भर करता है। फिशर होने के पीछे बहुत सारे कारण होते है जो मूल रूप से रहन-सहन और खान-पान पर निर्भर करता है। एक अच्छे लाइफस्टाइल का पालन न करने से व्यक्ति को कई सारी स्वास्थ्य सम्बन्धी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है।
1. गुदा की नलिका में किसी प्रकार का कट या दरार फिशर का सबसे सामान्य कारण होता है। फिशर अक्सर उन लोगों को होता है जिनको कब्ज़ की समस्या होती है फिशर गुदा नलिका की परतों को नुकसान पहुँचा देता है।
2. एनल स्फिंटकर की मांसपेशियां का असामान्य रूप से टाइट होना, जो आपकी गुदा नलिका में तनाव बढ़ा सकता है। यह एनल फिशर होने की संभावना को भी बढ़ सकता है।
3. एनल फिशर होने का एक कारण फाइबर युक्त आहार का सेवन कम करना भी हो सकता है
4. एनल फिशर का कारण गुदा में किसी कारणवश खरोंच लगना या गुदा और मलाशय में सूजन होना भी हो सकता है।
5. मलाशय में कैंसर की उत्पत्ति के कारण भी फिशर होने की सम्भावना बढ़ जाती है। साथ ही मलत्याग करने के बाद गुदा को कठोरता या अत्यधिक दबाव से पोंछना या साफ करना भी एनल फिशर का एक कारण हो सकता है।
फिशर के लक्षण (Symptoms of Fissure)
फिशर से पीड़ित रोगी को सबसे ज्यादा परेशानी टॉयलेट जाते समय होती है टॉयलेट के समय गुदा में बहुत अधिक दर्द होता है, यह दर्द ऐसा होता है जैसे मानों किसी ने काट दिया हो, और यह दर्द 2-4 घंटों तक बना रहता है। कभी कभी तो रोगी को पुरे दिन इस दर्द से परेशान रहना पड़ता है। चलिए आज हम आपको बताते है रोगी के शरीर में फिशर के लक्षण।
1. फिशर में मल त्याग के समय दर्द होना और साथ ही मल के साथ खून आना फिशर का एक सामान्य लक्षण है।
2. फिशर में गुदा के आस-पास जलन, आस-पास के क्षेत्र में खुजली होना और आस-पास के क्षेत्र में तीव्र जलन होना फिशर एक लक्षण है।
3. फिशर में मल त्याग के दौरान दर्द या गंभीर दर्द की अनुभूति होना फिशर का ही लक्षण है फिशर का ये दर्द कई घण्टों तक रहता है साथ ही फिशर से ग्रसित व्यक्ति को कब्ज़ की समस्या भी रहती है लम्बे समय तक कब्ज़ रहने के कारण व्यक्ति को दीर्घकालिक फिशर हो सकती है।
4. बूढ़े लोगों में रक्त संचार धीमा हो जाता है, जिससे उनके गुदा नलिका में तनाव बढ़ा सकती है। यह स्थिति एनल फिशर के लिए अति संवेदनशील बना सकती है।
5. फिशर में एनल स्फिंक्टर की मांसपेशियां असामान्य रूप से टाईट हो जाती है, जो आपकी गुदा नलिका को संक्रमित और नुकसान पहुँचा सकते है।
किन लोगों को होती है फिशर होने की अधिक संभावना (Who suffers more from fissure)
फिशर कोई गंभीर समस्याएं नहीं है ये स्त्री, पुरुष, बच्चों, वृद्ध, या युवा किसी को भी हो सकती है परन्तु फिशर सबसे ज्यादा उन लोगों को होता है जिन्हे अक्सर कब्ज़ रहती हो या मल कठिनाई से निकलता हो। ज़्यादातर निम्न लोगों को ये बीमारी होने की संभावना अधिक होती है।
1. फिशर ऐसे लोग को ज्यादा होता है जो बाजार का जंक फूड जैसे पिज्जा, बर्गर, नॉन वेज, अत्यधिक मिर्च-मसाले वाला भोजन अधिक खाते है।
2. फिशर की समस्या उन लोगों में भी बहुत अधिक पाई जाती है जो पानी बहुत कम पीते है।
3. ज्यादा समय तक बैठे रहने और किसी भी प्रकार का शारीरिक श्रम न करने वाले लोगों को भी फिशर की समस्या होती है।
4. गर्भावस्था के समय महिलाओं को कब्ज़ की समस्या हो जाती है जिससे उनको फिशर या पाईल्स होने की संभावना बढ़ जाती है।
5. फिशर की समस्या महिलाओं में पुरुषों की अपेक्षा अधिक होता है।
बवासीर और एनल फिशर में अंतर (Difference between Piles and Fissure)
बवासीर भी फिशर की तहर बहुत ही पीड़ादायक रोग है। इसका दर्द भी असहनीय होता है। बवासीर मलाशय के आस-पास की नसों में सूजन के कारण विकसित होता है। जबकि फिशर से गुदा नलिका की त्वचा में क्षति होना फिशर का सबसे सामान्य कारण होता है। बवासीर और फिशर ज्यादातर उन लोगों को होता है जिन्हें कब्ज़ की समस्या रहती है। ज्यादा तर जब बड़े आकार का मल गुदा के अंदर से निकलता है तो वह गुदा नलिका की परतों को नुकसान पहुँचा देता है। सामान्य तौर पर बवासीर दो प्रकार की होती है एक बाहरी बवासीर और दूसरा अंदरूनी बवासीर। बवासीर में भी मल त्याग के समय मलाशय में अत्यधिक पीड़ा और इसके बाद रक्तस्राव, खुजली इसका परमुख लक्षण है। कई बार इसके कारण गुदा में सूजन भी आजाती है।
फिशर से बचने और उससे रोकने के उपाय (Prevention Tips for Fissure)
1. अधिक से अधिक तरल पदार्थों का सेवन, संतुलित आहार का सेवन और ऐसी चीजों का सेवन जिनमे अच्छी मात्रा में फाइबर, फल और सब्जियां शामिल हो।
2. जिन लोगों को फिशर की समस्या होती है उनको कैफीन युक्त पदार्थ जैसे चाय और कॉफी का सेवन नहीं करना चाहिए।
3. गेहूँ का चोकर, दलिया, फाइबर वाले सप्लीमेंट्स, बीज और नट्स, खट्टे फलों का सेवन और साबुत अनाज, जिसमें ब्राउन राईज, ओटमील और ब्रेड आदि शामिल हो ऐसी चीजों का सेवन करना चाहिए।
4. फिशर रोगियों को मांसाहारी भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए। यदि फिशर की स्थिति में मांस का सेवन किया जाए तो कब्ज़ होने की संभावना और अधिक बढ़ सकती है, जिससे स्थिति और भी गंभीर हो सकती है।
5. जितना अधिक मात्रा में जल का सेवन कर सकते हो आपको करना चाहिए। इससे आपका मल नरम होगा और एनल फिशर होने की संभावना कम होगी।
फिशर से राहत पाने के घरेलू उपाय (Home Remedies for Fissure)
ज्यादातर मामलों में फिशर का ट्रीटमेंट सर्जरी के बिना ही किया जा सकता है। ज्यादातर फिशर घरेलु उपचार द्वारा ठीक किये जा सकते है। मल त्याग के समय होने वाला गुदा का दर्द भी इलाज शुरु होने के कुछ दिन बाद ठीक होने लगता है। कब्ज फिशर का एक मुख्य कारण है, इसलिए कब्ज़ को रोकने के लिए कुछ निम्नलिखित उपायों का पालन करना चाहिए।
1. अगर आपको फिशर की समस्या हो रही है तो आपको फाईबर युक्त आहार का सेवन करना चाहिए साथ ही प्रतिदिन थोड़ा बहुत व्यायाम भी करना चाहिए।
2. फिशर रोगियों को अपने आहार में फल, सब्जियां, सेम और साबुत अनाज आदि शामिल करना चाहिए।
3. रोज एक एक टब में गर्म पानी डालें और उसमें 20 से 30 मिनट तक बैठें। ऐसा दिन में 2 से 3 बार करें। कुछ हफ्तों तक ऐसा करने से क्षतिग्रस्त ऊतकों के दर्द को कम करता है।
4. मल त्याग करने से बचने की कोशिश न करें। लेकिन बिना इच्छा के मल त्याग करने की कोशिश न करें।
5. वैसे तो फिशर के सभी मामले घरेलु इलाज से ठीक हो जाते है। यदि आपके फिशर की समस्या 8 से 12 सप्ताह तक खतम नहीं होती तो आपको अपने उपचार में सर्जरी को शामिल करना चाहिए।
डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए (When to visit Doctor)
वैसे तो फिशर के सभी मामले घरेलु इलाज से ठीक हो जाते है। यदि आपके फिशर की समस्या 8 से 12 सप्ताह तक खतम नहीं होती तो आपको इसके लिए डॉक्टर से मिलना चाहिए। घरेलु देखभाल के तरीकों से फिशर ठीक न होने पर डॉक्टर से जल्द से जल्द सम्पर्क करना चाहिए क्योंकि ऐसे मामलों में सर्जरी करनी पड़ सकती है। वैसे तो फिशर कोई गंभीर रोग नहीं होता। फिर भी कई बार एनल कैंसर फिशर की नकल कर सकता है। फिशर के लिए आप
पैल्हेज की आयुर्वेदिक किट कर सकते है ये फिशर के लिए काफी फ़ायदेबाद होती है और इसका कोर्स 8 से 10 सप्ताह का होता है परन्तु आप जब भी कोई दवाई ले तो उससे पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर ले।